प्राचीन इतिहास – प्राचीन बिहार की जानकारी

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1956

बौद्ध साहित्य

बौद्ध ग्रन्थों में त्रिपिटक, विनयपिटक, सुतपिटक तथा अभिधम्म पिटक महत्वपूर्ण हैं, जिसमें अनेकों ऐतिहासिक सामग्री उपलब्ध होती है । निकाय तथा जातक में बौद्ध धर्म के सिद्धान्त तथा कहानियों का संग्रह है । जातकों में बुद्ध के पूर्वजन्म की कहानी है ।

दीपवंश तथा महावंश दो पालि ग्रन्थों से मौर्यकालीन इतिहास के विषय में जानकारी होती है ।नागसेन का रचित मिलिन्दह्नो में हिन्द यवन शासक मेनाण्डर के विषय में जानकारी मिलती है ।हीनयान का प्रमुख ग्रन्थ कथावस्तु में महात्मा बुद्ध के जीवन चरित्र के अनेक कथानकों के साथ वर्णन मिलता है ।दिव्यादान से अशोक के उत्तराधिकारियों से लेकर पुष्यमित्र शुंग तक के शासकों के विषय में जानकारी मिलती है तथा ह्वेनसांग ने नालन्दा विश्‍वविद्यालय में ६ वर्षों तक रहकर शिक्षा प्राप्त की ।इनके भ्रमण वृतान्त सि.यू. की पुस्तक में है जिसमें १३८ देशों का विवरण मिलता है ।इसके वृतान्त से हर्षकालीन भारत के समाज, धर्म तथा राजनीति पर सुन्दर विवरण प्राप्त होता है ।

 

बौद्ध साहित्य 2

ह्वेनसांग का मित्र हीली ने ह्वेनसांग की जीवनी से हर्षकालीन भारत की दशा की महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं । इत्सिंग सातवीं शताब्दी के अन्त में भारत आया था । उसने अपने विवरण में नालन्दा विश्‍वविद्यालय, विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय तथा अपने समय के भारत की दशा का वर्णन किया है ।

त्वानलिन नामक चीनी यात्री ने हर्ष के पूर्वी अभियान के विषय में विवरणों का उल्लेख किया है ।चाऊ जू कूआ चोल इतिहास के विषय में कुछ तथ्य प्रस्तुत करता है ।तिब्बती बौद्ध लेखक तारानाथ के ग्रन्थों कंग्युर तथा तंग्युर से भी भारतीय इतिहास के तथ्य ज्ञात होते हैं|वेनिस के प्रसिद्ध यात्री मार्कोपोलो ने तेरहवीं शती में पाण्ड्‍य शासकों के शासन का इतिहास के वृतान्त को लिखा है ।मेगस्थनीज जो सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था । उसने इण्डिका नामक पुस्तक में मौर्ययुगीन समाज तथा संस्कृति विषय को लिखा है ।इण्डिका से यूनानियों द्वारा भारत के सम्बन्ध का उल्लेख प्राप्त होता है ।डायमेकस, सीरिया नरेश अन्तियोकस का राजदूत था । वह बिन्दुसार के शासन काल में भारत आया था ।डायोनियख्यिस जो मिस्र नरेश टालमी फिलेडेल्फस का राजदूत था । वह अशोक के दरबार में आया था ।टालमी ने भारत का भूगोल लिखा, जबकि टिलनी द्वारा भारतीय पशुओं, पेड़-पौधों, खनिज पदार्थों आदि का वर्णन किया गया है । चीनी यात्रियों के विवरण से हमें ऐतिहासिक विवरण प्राप्त होते हैं ।ये चीनी यात्री बौद्ध मतानुयायी थे । इनके विवरण से ज्ञात होता है कि यह भारत में बौद्ध तीर्थस्थानों की यात्रा तथा बौद्ध धर्म के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए आये थे ।फाह्यान, सुंगयुंग, ह्वेनसांग तथा इत्सिंग विशेष रूप से प्रसिद्ध चीनी यात्री हैं ।


विविध स्त्रोत

बिहार के मध्यकालीन इतिहास की जानकारी हेतु अभिलेख, स्मारक, सिक्‍के, चित्र और अनेक प्राचीन ऐतिहासिक वस्तुएँ उपलब्ध हैं । विविध स्त्रोतों में जिला गजेटियर, लैण्ड सर्वे एवं सेटलमेण्ट रिपोर्ट आदि प्रमुख हैं ।

प्रशासनिक महत्व के पत्रों के संकलन विशेषकर फोर्ट विलियम इण्डिया हाउस कॉरेस्पोंडेंस सीरीज, फ्रांसिस बुचानन द्वारा संकलित वृहत रिपोर्ट्‍स, राष्ट्रीय एवं राजकीय अभिलेखाकार में सुरक्षित सरकारी संचिकाएँ एवं अन्य कागजात भी इन सन्दर्भ में उपयोगी हैं ।बिहार से प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, विभिन्‍न भाषाओं की साहित्यिक कृतियाँ भी अनेक महत्वपूर्ण जानकारी देने में सहायक हैं ।स्वयंसेवी संस्थाओं, शैक्षिक केन्द्रों और अन्य संस्थाओं के कागजात भी ऐतिहासिक स्त्रोत हैं ।इनके साथ-साथ निजी पत्रों, चिट्ठियों, डायरियाँ, संस्मरणों आदि भी प्रमुख स्त्रोत हैं ।

जैन साहित्य

बिहार के ऐतिहासिक स्त्रोत में जैन साहित्य का भी योगदान रहा है । इसके ग्रन्थ भी बौद्ध साहित्य के समान धर्मपरक हैं ।भद्रबाहु द्वारा रचित कल्पसूत्र में चौथी शती ई.पू. का इतिहास प्राप्त होता है ।परिशिष्ट वर्णन तथा भद्रबाहु चरित से चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन की प्रारंभिक तथा उत्तरकालीन घटनाओं की सूचना मिलती है । भगवती सूत्र से महावीर के जीवन कृत्यों तथा अन्य समकालिकों के साथ उनके सम्बन्धों का विवरण मिलता है ।जैन साहित्य का पुराण चरित के अनुसार छठी शताब्दी से सोलहवीं शताब्दी तक का इतिहास वर्णित है जिससे विभिन्‍न कालों की राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक दशा का ज्ञान प्राप्त होता है।

 

लौकिक साहित्य

बिहार के ऐतिहासिक स्त्रोत में लौकिक साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान है ।सिन्ध तथा नेपाल में कई इतिवृतियाँ प्राप्त हुई हैं ।चचनामा नामक इतिवृतियों में सिन्धु विजय का वृतान्त प्राप्त होता है । इसमें नेपाल की वंशावलियों का नामोल्लेख मिलता है ।गार्गी संहिता से ऐतिहासिक घटनाओं की जानकारी मिलती हैं जिसमें भारत पर होने वाले यवन आक्रमणों का उल्लेख प्राप्त होते हैं ।इस ग्रन्थ यवनों के साकेत, पंचाल, मथुरा तथा कुसुमध्वज पर आक्रमण का उल्लेख प्राप्त होता है ।मुद्राराक्षस से चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में जानकारी प्राप्त होती है ।कालिदास कृत मालविकाग्निमित्रम्‌ में शुंगकालीन राजनीतिक परिस्थितियों का विवरण है ।ऐतिहासिक जीवनियों में अश्‍वघोष कृत बहुचरित, वाणभट्ट का हर्षचरित, वाक्यपति का गोडवहो, विल्हण का विक्रमांगदेव चरित, पद्यगुप्त का नव साहसांहत्र चरित, संध्याकार नंदी कृत रामचरित, हेमचन्द्र कृत कुमार चरित, जयनक कृत पृथ्वीराज विजय आदि का विशेष रूप से उल्लेख किया जा सकता है ।हर्षचरित से सम्राट हर्षवर्धन के जीवन तथा तत्कालीन समाज एवं धर्म विषयक अनेक महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है ।गौडवहो में कन्‍नौज नरेश यशोवर्मन के गोंड नरेश के ऊपर किये गये आक्रमण एवं वध का विवरण मिलता है

 

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