हरियाणा का इतिहास
हरियाणा का इतिहास बड़ा गौरवपूर्ण है और यह वैदिक काल से आरंभ होता है। यह राज्य पौराणिक भरत वंश की जन्मभूमि माना जाता है जिसके नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। हमारे महान महाकाव्य महाभारत में हरियाणा की चर्चा हुई है। भारत की राजधानी बनने से पहले तक भारत के इतिहास में मुसलमानों के आगमन और दिल्ली के भारत की राजधानी का एक हिस्सा बन गया और 1857 में स्वतंत्रता के प्रथम महासंग्राम से पूर्व तक यह गुमनाम बना रहा। सन् 1857 के विद्रोह को कुचलने के बाद जब ब्रिटिश प्रशासन फिर से स्थापित हुआ तो झज्झर और बहादुरगढ़ के नवाबों, बल्लभगढ़ के राजा तथा रिवाड़ी के राव तुलाराम की सत्ता छीन ली गई। उनके क्षेत्र या तो ब्रिटिश क्षेत्रों में मिला लिए गए या पटियाला, नाभा और जींद के शासकों को सौंप दिए गए। इस तरह हरियाणा पंजाब प्रांत का हिस्सा बन गया। एक नवंबर, 1966 को पंजाब के पुनर्गठन के बाद हरियाणा पूर्ण बन गया।
हरियाणा का भूगोल
हरियाणा के पूर्व में उत्तर प्रदेश, पश्चिम में पंजाब, उत्तर में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में राजस्थान है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली हरियाणा से जुड़ा है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के दायरे में हरियाणा भी है।
कृषि हरियाणा की 56 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या की जीविका का आधार कृषि है और राज्य के सकल घेरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 26.4 प्रतिशत है। खाद्यान्न, जो हरियाणा के राज्य के समय 25.92 लाख टन था, वर्ष 2008-09 में बढ़कर 155.08 लाख हो जाने का अनुमान है क्योंकि ज्यादा फसलें बोई जार रही हैं और मुख्य फसलों का उत्पादन बढ़ रहा है। चावल, गेहूं, ज्वार, मक्का, जौ, गन्ना, कपास, दलहन, तिलहन और आलू राज्य की प्रमुखता से उगाई जाने वाली फसलें हैं। सूरजमुखी तथा सोयाबीन, मूंगफली तथा बागवानी को भी विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। राज्य में गहन और विस्तृत खेती को बढ़ावा देने के प्रयास जारी हैं। मृदा उर्वरता रखने के लिए ढेंचा, मूंग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।